उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड से जुड़े 60,244 सिविल पुलिस कांस्टेबल पदों की भर्ती में एक नई उम्मीद जगी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस भर्ती बोर्ड को आदेश दिया है कि वह आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अतिरिक्त चयन सूची जारी करने पर शीघ्र निर्णय ले।
क्या है पूरा मामला?
2023 की यूपी पुलिस सिविल कांस्टेबल भर्ती में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। कुछ अभ्यर्थियों का दावा था कि उन्होंने कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, फिर भी उनका चयन नहीं हुआ। इसको लेकर याचिकाकर्ता आदित्य कुमार और अन्य ने कोर्ट में अपील की थी। याचियों के वकील मुजीब अहमद सिद्दीकी ने दलील दी कि आदित्य कुमार को 218.5 अंक मिले थे, जबकि कट-ऑफ 216.58 अंक था। इसके बावजूद उनका चयन नहीं किया गया और न ही असफलता का कोई औपचारिक कारण बताया गया।
कोर्ट का आदेश:
न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि याचीगण दो सप्ताह के भीतर बोर्ड में आवेदन करें। इसके बाद बोर्ड को अगले छह सप्ताह में इस आवेदन पर निर्णय लेना होगा और उचित आदेश पारित करना होगा।
इस फैसले का प्रभाव:
यदि बोर्ड अतिरिक्त चयन सूची जारी करता है, तो हजारों अभ्यर्थियों के लिए एक नया मौका मिल सकता है।
जो उम्मीदवार कट-ऑफ मार्क्स पास करने के बावजूद चयन से वंचित रहे थे, उन्हें चयन प्रक्रिया में शामिल होने का मौका मिल सकता है।
अभ्यर्थियों के मेडिकल को लेकर हाईकोर्ट में याचिका
उत्तर प्रदेश आरक्षी सीधी भर्ती 2023 से जुड़ी एक अहम याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई है।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सभी 60,244 चयनित अभ्यर्थियों का मेडिकल परीक्षण कराया जाए, ताकि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरी हो सके।
क्या है याचिका का तर्क?
याचिकाकर्ता रोहित कुमार ने दलील दी कि मेडिकल परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फेल हो जाते हैं। इसके चलते सभी पद भर नहीं पाते और रिक्तियों को आगे की भर्तियों में जोड़ना पड़ता है। अगर अभी सभी अभ्यर्थियों का मेडिकल कराया जाए, तो समय पर सभी पद भर सकते हैं और भर्ती प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अगला सप्ताह तय किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार और भर्ती बोर्ड से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
मामले का प्रभाव:
यदि याचिका स्वीकार होती है, तो भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हो सकता है।
उम्मीदवारों का मेडिकल जल्द शुरू हो सकता है और रिक्तियों की संख्या कम रह सकती है।
भर्ती प्रक्रिया में तेजी आ सकती है और पारदर्शिता बढ़ेगी।